
वंदेभारतलाइवटीव न्युज नागपुर मंगलवार 26 अगस्त 2025-:
×××××××××××××××××××××× श्री गणेश जी देवों में प्रथम पूज्य देव है हमारे हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के पहले श्री गणेश जी की पूजा के साथ ही कार्य आरंभ किया जाता है।हमारे दैनिक जीवन में रोजाना ही भगवान गणेश जी की पूजा वंदना की जाती है। परन्तु भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को गणेश जी की पूजा उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। हमारे धार्मिक मान्यतानुसार के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को श्री गणेश जी का अवतरण हुआ था, इस दिन को पूरे भारतवर्ष में खुशी उत्साह भक्तिभाव के साथ श्री गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। पूजा पंडालों में इस दिन से लेकर अनंत चतुर्दशी तक दस दिन गणेशोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भकजन अपने घरों दुकानों मन्दिरों और दफ्तरों मे भी प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी मूर्ति स्थापित कर उनकी विधि विधान के साथ पूजा उपासना किया करते हैं। भगवान गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें मोतीचूर के लड्डू मालपुआ खीर मोदक का भोग लगया जाता है। इस वर्ष 2025 में भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ दिनांक 26 अगस्त मंगलवार को दोपहर में 01:54 मिनट पर होगा। भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन दिनांक 27 अगस्त बुधवार को दोपहर में 03:44 मिनट पर हो रहा है। हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में उदया तिथि को ज्यादा महत्व दिया जाता है। उदया तिथि के अनुसार भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त बुधवार 2025 को मनाया जायेगा। विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार श्री गणेश चतुर्थी पर प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापना करने के लिए 27 अगस्त बुधवार 2025 को सुबह 11:05 मिनट से लेकर दोपहर के 01:40 मिनट तक का विशेष शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय पर भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति स्थापना कर पूजा कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार श्री गणेश चतुर्थी पर प्रीती, सर्वार्थ सिद्ध योग, इंद्र- ब्रम्हा योग, का संयोग भी बना रहेगा। कर्क राशि में बुध और शुक्र ग्रह के होने से लक्ष्मीनारायणाय योग का भी संयोग रहेगा। इसके अतिरिक्त श्री गणेश चतुर्थी पर इस बार बुधवार का दिन पड़ रहा है जो कि महासंयोग तिथि के महत्व को और भी कई गुना बढ़ा रहा है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन पूजा के लिए गणपति जी की नई मूर्ति घर लाई जाती है। अपने पूजाघर में गणेश जी की मूर्ति के साथ साथ और भी अतिरिक्त मूर्ति का स्वतंत्र रूप से पूजा किया जाता है। विधान के अनुसार सर्वप्रथम आचमन करके उसके बाद देशकाल का उच्चारण करते हुए संकल्प लिया जाता है। संकल्प के बाद शंख घंटा दीप आदि पूजन सामाग्रियों से पूजन कर विधिवत श्रीगणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है। श्रीगणेश चतुर्थी को रखे जाने वाले व्रत उपवास को ” सिद्धिविनायक व्रत ” के नाम से भी जाना जाता है। पूजा घर में नई गणेश मूर्ति लाने का उद्देश्य-श्रीगणेश चतुर्थी के समय पृथ्वी पर गणेशतरंगे अत्यधिक मात्रा में आती हैं। इस समय पर उनका आवाहन यदि पूजा घर में रखी हुई गणेश जी की मूर्ति में किया जाता है तो उसमे अत्यधिक शक्ति का संचार होता है। इसलिए गणेश तरंगों के आवाहन के लिए नई गणेशजी की मूर्ति पूजा में उपयोग में लाई जाती है। पूजा के बाद इसे अंत में विसर्जित भी कर दिया जाता है। मूर्ति घर लाते समय पारंपरिक वेशभूषा धोती कुर्ता धारण करना चाहिए। मूर्ति लाते समय सिर पर टोपी अवश्य ही धारण करना चाहिए। मूर्ति को रेशमी वस्त्रों या सूती वस्त्रों से ढंककर रखना चाहिए। मूर्ति घर लाते समय मूर्ति का मुख पकड़ने वाले की ओर और पीठ सामने होना चाहिए। मूर्ति लाते समय भक्तिभाव से जयकारे लगाते हुए या नामजप करते हुए घर लाना चाहिए। मूर्ति लेकर घर के देहली पर खड़े रहें, घरी सुहागिन स्त्री मूर्ति लाने वाले के पौरों पर पहले दूध और बाद में जल डाले उसके बाद मूर्ति लेकर घर में प्रवेश करें। घर में प्रवेश करने के पहले मूर्ति का मुख सामने की ओर कर उसके बाद मूर्ति की आरती करके घर मे ले जाना चाहिए। इस प्रकार से भक्तिभाव के साथ गणेश चतुर्थी पर गणेश जी का स्वागत सत्कार करते हैं और लाई गई गणेश जी की मूर्ति का विधान के अनुसार पूजन अर्चन वंदन नामजप स्तोत्र पाठ इत्यादि भावसहित करने पर गणेश जी के तत्व का पूरा लाभ प्राप्त होता है। मूर्ति घर पर लाते समय हमारे अंदर ऐसा भाव होना चाहिए कि हकीकत में प्रभूजी हमारे घर पधारने वाले हैं।धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी देवता का आवाहन कर पूजन करने पर उस देवता की मूर्ति में संबंधित देवत्व का आकृष्ट होता है। देवता का वह तत्व मूर्ति में समाहित होकर आसपास के वायुमंडल में प्रक्षेपित होता रहता है। गणेश जी को घर लाने के बाद उनका नामजप करना चाहिए। गणेश जी को अडहुल पुष्प अर्पण करना चाहिए। गणेश जी का दुर्वा से पूजन करना चाहिए गणेश पूजा मे दुर्वा का विशेष महत्व होता है। गणेश जी से प्रार्थना एवं उनकी मानसपूजा करनी चाहिए। आरती करते हुए भगवान को आर्तभाव से पुकारना चाहिए। गणेश जी की न्युनतम आठ बार परिक्रमा करनी चाहिए। पूजा के अंत मे क्षमा याचना करनी चाहिए।